फलक से दूर तक कुछ भी नहीं था एक सिवा उसके …
बिना समझे, समझ बैठा, यही अफ़सोस है तबसे ....
JITENDRA SRS BAGHEL
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...
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