Friday 25 July 2014

फलक से दूर तक कुछ भी नहीं था एक सिवा उसके …
बिना समझे, समझ बैठा, यही अफ़सोस है तबसे .... 
JITENDRA SRS BAGHEL

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।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...