क्यों फासले हमदर्द हैं, हमराह की अँखियों तले !
दिन रात हम रुसवा रहे, खुद के अँधेरे में जले !!.
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
15th जुलाई 2014
15th जुलाई 2014
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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