Sunday 2 August 2015

मन से अपराध ना हो जाए !!!!

मन से अपराध ना हो जाए ,
बस यही सोंच के बैठे थे  !
एक बात अचानक हो ही गयी,
जिस बात को लेके डरते थे  !!
.
है व्याकुल और विक्षिप्त सा मन,
बस हाथ हाथ से मलते थे !
हर बार वही हो जाता है, 
जो कभी न हो ये कहते थे !!
.
आदत बेचारी बेबस थी,
फितरत न बने हम डरते थे !
एक बात अचानक हो ही गयी,
जिस बात को लेके डरते थे  !!
.
     मन से अपराध ना हो जाए.……… 

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 

   3rd अगस्त 2015 

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