मन से अपराध ना हो जाए ,
बस यही सोंच के बैठे थे !
एक बात अचानक हो ही गयी,
जिस बात को लेके डरते थे !!
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है व्याकुल और विक्षिप्त सा मन,
बस हाथ हाथ से मलते थे !
हर बार वही हो जाता है,
जो कभी न हो ये कहते थे !!
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आदत बेचारी बेबस थी,
फितरत न बने हम डरते थे !
एक बात अचानक हो ही गयी,
जिस बात को लेके डरते थे !!
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मन से अपराध ना हो जाए.………
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
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