Tuesday, 24 July 2012

मुकद्दर और गम !!!!

मेरे मुकद्दर में कुछ गम और लिख दे मौला,
क्या पता, फिर ज़िन्दगी में उसका दीदार न हो !
ये उलफत में जीना बहुत हो गया,
कुछ ऐसा कर की, खुद पे ऐतबार न हो !!
 है खुशबु आज भी उसकी, धडकती आज भी वो है,
फरक इतना है यारो अब,  किसी की याद में  है वो !!
                     जितेन्द्र  सिंह बघेल                     
                       24 जुलाई 2012


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