Sunday 22 July 2012

मेरी जाना !!!!

मुझे लगा नहीं कभी की, तू इस कदर लौटेगा !
मेरे वजूद में शामिल, तेरी हर सांस थी जाना !!
तेरे हर अश्क की कीमत, मैं  लौटा नहीं सकता !
मेरे हर वक़्त में शामिल, तेरे अरमान थे जाना !!
तेरा आना भी क्या आना, तुझे अपना नहीं सकता !
मेरे अपनों ही ने तो, मुझे मारा मेरी जाना !!
                          जितेन्द्र सिंह बघेल 
                            23 जुलाई 2012

No comments:

Post a Comment

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...