हमने सुना था, की अपने कितने भी पराये क्यों न हो जाएँ,
मगर अपनापन नहीं जाता !
मगर अपनापन नहीं जाता !
मगर यहाँ तो कुछ और बात दिखी यारो, इतना परायापन मिला,
की साला बताया नहीं जाता !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
28 मार्च 2013
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...