हो एक दृष्टि, हो एक डगर मानो सारा जग अपना है !
निज स्वार्थ सिद्ध के खातिर जो, लुट जाये वो क्या अपना है !!
निज स्वार्थ सिद्ध के खातिर जो, लुट जाये वो क्या अपना है !!
ए वतन तुझे है नमन मेरा, मर मिटू तुझी पे सपना है !
हो एक दृष्टि, हो एक डगर मानो सारा जग अपना है !!
जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
21 मार्च 2013
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