Thursday, 23 March 2017

!! छूट रहा पल, छूट रहा कल !!

छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !
ना जाने कब बीतेगा पल, अपने दिल की बाहों में !!
हम परवाह यूँ ही करते हैं, जाने क्या हो जायेगा !
कर्म हमारा, धर्म हमारा, साथ मात्र, जो जायेगा !!
कर्म भूल के, धर्म भूल के, लगे हुए हैं खाने में !
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !!
देश बिसारे, ईष्ट बिसारे, और बिसारे वेद पुराण !
फ़िर भी खुद को श्रेष्ट बताकर, खुदका करते हैं गुणगान !!
नहीँ बचेगा लेस मात्र भी, ईष्ट - देश बिसराने में !
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !!
राम श्रेष्ट है, राम राष्ट्र है, राम नाम ही भारत है !
राम कर्म है, राम धर्म है, राम नाम ही सारथ है !!
राम की निंदा सुनके चुप हैं, राम हुआ बेगानों में !
रक्त जमा है, स्वर भी मरा है, नहीँ रहे मर्दानों में !!
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !
ना जाने कब बीतेगा पल, अपने दिल की बाहों में !!
      ॥ जय श्री राम ॥
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
     23th मार्च 2017
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु
        शहीद दिवस

Tuesday, 21 March 2017

॥ कटु सत्य ॥

धर्म और संन्यास का अद्भुत मिलन है हो गया !
अब अगर कुछ हो न पाया, तो मैं समझूं सब गया !!
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आज़ माननीय न्यायलय ने टिप्पणी की राममंदिर के संदर्भ में न्यायलय के बाहर दोनो पक्ष मिलकर रास्ता निकालें !
कितनी शर्म की बात है हम अपने ही देश में अपने भगवान की मंदिर नहीँ बना सकते, धिक्कार है सभी राज़ नेताओं को, सभी हिंदू धर्म के ठेकेदारों को सारा हिंदू समाज कितना बेबस है !
जहाँ बाबर पैदा हुआ वहाँ जाओ सालो वहीँ बनाओ उसकी मस्जिद, मगर जहाँ मेरे प्रभु का जन्म हुआ, वहाँ हम खुद नहीँ बना सकते ? धिक्कार है !
🙏🙏🙏🙏🙏
कैसे कहूँ मैं रक्त, जिसमें देस भक्ति न घुले !
नर हो नही सकता कभी वो, जानवर जिनसे भले !!
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हम जनेऊ भूल गये, शिखा भूल गये, गोत्र भूल गये, अपने धर्म, शास्त्र, पुराण, वेद सब भूल गये, कारण यही है की हम अपने मर्यादा पुरुषोत्तम का घर नहीँ बना सकते ! जो अपने धर्म के प्रतीक की रक्षा नहीँ कर सकता वो धर्म को क्या खाक मानेगा ?
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Narendra Modi
Rajnath Singh
Uma Bharti

जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
    21 मार्च 2017

Friday, 10 March 2017

!! कुछ भी !!

महफूज़ रखता हूँ खुद से बेहतर तुझको, न जाने फ़िर  क्या ख़ता हो जाती है !
हूँ सलामत तो फक्र है मुझको, वरना किस्मत भी बदकिस्मत हो जाती है !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल

Thursday, 2 March 2017

॥ मुलाकातें ॥


कुछ मुलाकातें दिल साफ़ करती हैं !
कुछ तो आदत बन जातीं हैं !!
फ़र्क होता है मुलाकातें दौर का ,
वरना हर मुलाकातें कुछ न कुछ करतीं हैं !!

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
    2nd मार्च 2017

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...