Tuesday 21 March 2017

॥ कटु सत्य ॥

धर्म और संन्यास का अद्भुत मिलन है हो गया !
अब अगर कुछ हो न पाया, तो मैं समझूं सब गया !!
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आज़ माननीय न्यायलय ने टिप्पणी की राममंदिर के संदर्भ में न्यायलय के बाहर दोनो पक्ष मिलकर रास्ता निकालें !
कितनी शर्म की बात है हम अपने ही देश में अपने भगवान की मंदिर नहीँ बना सकते, धिक्कार है सभी राज़ नेताओं को, सभी हिंदू धर्म के ठेकेदारों को सारा हिंदू समाज कितना बेबस है !
जहाँ बाबर पैदा हुआ वहाँ जाओ सालो वहीँ बनाओ उसकी मस्जिद, मगर जहाँ मेरे प्रभु का जन्म हुआ, वहाँ हम खुद नहीँ बना सकते ? धिक्कार है !
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कैसे कहूँ मैं रक्त, जिसमें देस भक्ति न घुले !
नर हो नही सकता कभी वो, जानवर जिनसे भले !!
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हम जनेऊ भूल गये, शिखा भूल गये, गोत्र भूल गये, अपने धर्म, शास्त्र, पुराण, वेद सब भूल गये, कारण यही है की हम अपने मर्यादा पुरुषोत्तम का घर नहीँ बना सकते ! जो अपने धर्म के प्रतीक की रक्षा नहीँ कर सकता वो धर्म को क्या खाक मानेगा ?
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Narendra Modi
Rajnath Singh
Uma Bharti

जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
    21 मार्च 2017

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