Friday, 10 March 2017

!! कुछ भी !!

महफूज़ रखता हूँ खुद से बेहतर तुझको, न जाने फ़िर  क्या ख़ता हो जाती है !
हूँ सलामत तो फक्र है मुझको, वरना किस्मत भी बदकिस्मत हो जाती है !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल

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।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...