छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !
ना जाने कब बीतेगा पल, अपने दिल की बाहों में !!
हम परवाह यूँ ही करते हैं, जाने क्या हो जायेगा !
कर्म हमारा, धर्म हमारा, साथ मात्र, जो जायेगा !!
कर्म भूल के, धर्म भूल के, लगे हुए हैं खाने में !
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !!
देश बिसारे, ईष्ट बिसारे, और बिसारे वेद पुराण !
फ़िर भी खुद को श्रेष्ट बताकर, खुदका करते हैं गुणगान !!
नहीँ बचेगा लेस मात्र भी, ईष्ट - देश बिसराने में !
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !!
राम श्रेष्ट है, राम राष्ट्र है, राम नाम ही भारत है !
राम कर्म है, राम धर्म है, राम नाम ही सारथ है !!
राम की निंदा सुनके चुप हैं, राम हुआ बेगानों में !
रक्त जमा है, स्वर भी मरा है, नहीँ रहे मर्दानों में !!
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !
ना जाने कब बीतेगा पल, अपने दिल की बाहों में !!
॥ जय श्री राम ॥
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
23th मार्च 2017
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु
शहीद दिवस
Thursday, 23 March 2017
!! छूट रहा पल, छूट रहा कल !!
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।। जगत विधाता मोहन।।
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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