Thursday, 11 May 2023

।। पुंज।।

मैं धर्म से अधर्म तक की, प्रार्थना का पुंज हूँ !
मैं व्यक्ति हूँ, विशेष हूँ, मनुष्य हूँ, मनुष्य हूँ !!
सभी चराचरों का मैं, श्रेष्ठतम वो बिंदु हूँ !
जिसे नहीँ धरा का मोह, विनाश का वो द्वन्द हूँ !!
मैं मन्दिरों की घंट से, निकल रहा वो स्वर भी हूँ !
मैं मस्जिदों से आ रही, अजान का भी राग हूँ !!
हूँ एकमात्र श्रेष्ठ मैं, सृजन से अब भी शीर्ष हूँ !
हूँ बुद्धि से प्रखर बहुत, विवेक का मैं शंकु हूँ !!
मैं भूल कर हूँ बढ़ रहा, जिस ब्रह्म का मैं अंश हूँ !
मैं लालची मैं दुष्ट हूँ, मैं ही कपट मैं दंभ हूँ !!
मैं धर्म से अधर्म तक की, प्रार्थना का पुंज हूँ !
मैं व्यक्ति हूँ, विशेष हूँ, मनुष्य हूँ, मनुष्य हूँ !!
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हम मनुष्य जाति समस्त ब्रह्मांड की सर्वोच्च चर अचर इकाई हैं, परंतु हम अपने ज्ञान और विवेक के दम्भ में चूर होके निरंतर मानवता के ही विनाश कि ओर बढ़ रहे, प्रकृति से हमने जंग छेड़ दी है, अपने ही अपनों के रक्त के प्यासे हैं, कदाचित थोड़ा भी भान होता कि ईश्वर ने हमें किसलिये बनाया है, क्यों बुद्धि प्रदान कि, इसलिये कि उसकी ही सत्ता के विरुद्ध युद्ध शुरू करदें !!
🙏
जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
     1st मई 2017

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