यूँ तो हूँ अभ्यष्यत मैं, हूँ तनिक अनभिज्ञ भी !
राह में हूँ घुस चला, फ़िर नही डर मात्र भी !!
हैं हज़ारों द्वेष और, हैं करोड़ों कपट भी !
लड़ रहा हूँ मैं निरंतर, थक नहीँ सकता कभी !!
बुद्धि होती नित प्रखर, हैं कर्म मेरे रत अभी !
मन हो रहा नित प्रति प्रफुल्लित, है नहीँ थकना कभी !!
यूँ तो हूँ अभ्यष्यत मैं, हूँ तनिक अनभिज्ञ भी !
राह में हूँ घुस चला, फ़िर नही डर मात्र भी !!
✌
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
28th अप्रैल 2017
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