Thursday 11 May 2023

।। मैं।।

यूँ तो हूँ अभ्यष्यत मैं, हूँ तनिक अनभिज्ञ भी !
राह में हूँ घुस चला, फ़िर नही डर मात्र भी !!
हैं हज़ारों द्वेष और, हैं करोड़ों कपट भी !
लड़ रहा हूँ मैं निरंतर, थक नहीँ सकता कभी !!
बुद्धि होती नित प्रखर, हैं कर्म मेरे रत अभी !
मन हो रहा नित प्रति प्रफुल्लित, है नहीँ थकना कभी !!
यूँ तो हूँ अभ्यष्यत मैं, हूँ तनिक  अनभिज्ञ भी !
राह में हूँ घुस चला, फ़िर नही डर मात्र भी !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
28th अप्रैल 2017

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।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...