Tuesday, 23 May 2023

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है,
बस नही है तो, वो महक...
जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी।
थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।
मेरे शहर में सब है,
बस नही है तो, वो महक...
जो मेरे मां के आंचल से आती थी।
थोडा रसोई, थोडा दूध मक्खन,
इनकी महक तो मां ने ही बताई थी।।
मेरे शहर में सब है,
बस नही है तो, वो महक...
जो बारिश की बूंदों के पड़ने से आती थीं।
घर की छप्पर पर फैले, कद्दू और लौकी की बौलें,
लगता था की पास बुलाकर, खुद को सुंघाती थीं।।
मेरे शहर में सब है,
बस नही है तो, वो महक...
जो बियारी के लिए तैयार होते चूल्हों से आती थीं।
सुबह सुबह गोबर से लीपी दीवारें भी, पास बुलाती थीं।।
मेरे शहर में सब है,
बस नही है तो, वो महक...

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
  24th मई 2023


Friday, 12 May 2023

।।कर्नाटक विधानसभा चुनाव २०२३।।

तबायफें भी होंगी, मंडियां भी सजेंगी ।
बिकेंगे विधायक, बलि राजनीती की चढ़ेंगी ।।
होगा चीरहरण मर्यादा का, कई द्रोपादियां भी होंगी।
रहेंगे कौरव, रहेंगे पांडव, भीष्मों की आंखे फिर भी बंद होंगी ।।
तबायफें भी होंगी, मंडियां भी सजेंगी ।
बिकेंगे विधायक, बलि राजनीती की चढ़ेंगी ।।

#karnatakaelection2023 
#karnatakaassemblyelection2023 

Thursday, 11 May 2023

।। रास्ते।।

कहीं से आ रहा था मैं,
कहीं से जा रहा था मैं ।
जो पहले थी मेरी मंजिल,
वहीं से जा रहा था मैं ।।
हजारों रास्ते तय कर,
निरंतर चल रहा हूं मैं ।
हजारों रास्ते जिनको,
बिछड़ कर रो रहा हूं मैं ।।
कहीं से आ रहा था मैं.......
यही चकिया है जीवन का,
यही अपना रहा हूं मैं ।
बहुत ही कम समय मे मैं,
अधिक सा खो रहा हूं मैं।।
कहीं से आ रहा था मैं.......

।।जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल।।

।। पुंज।।

मैं धर्म से अधर्म तक की, प्रार्थना का पुंज हूँ !
मैं व्यक्ति हूँ, विशेष हूँ, मनुष्य हूँ, मनुष्य हूँ !!
सभी चराचरों का मैं, श्रेष्ठतम वो बिंदु हूँ !
जिसे नहीँ धरा का मोह, विनाश का वो द्वन्द हूँ !!
मैं मन्दिरों की घंट से, निकल रहा वो स्वर भी हूँ !
मैं मस्जिदों से आ रही, अजान का भी राग हूँ !!
हूँ एकमात्र श्रेष्ठ मैं, सृजन से अब भी शीर्ष हूँ !
हूँ बुद्धि से प्रखर बहुत, विवेक का मैं शंकु हूँ !!
मैं भूल कर हूँ बढ़ रहा, जिस ब्रह्म का मैं अंश हूँ !
मैं लालची मैं दुष्ट हूँ, मैं ही कपट मैं दंभ हूँ !!
मैं धर्म से अधर्म तक की, प्रार्थना का पुंज हूँ !
मैं व्यक्ति हूँ, विशेष हूँ, मनुष्य हूँ, मनुष्य हूँ !!
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हम मनुष्य जाति समस्त ब्रह्मांड की सर्वोच्च चर अचर इकाई हैं, परंतु हम अपने ज्ञान और विवेक के दम्भ में चूर होके निरंतर मानवता के ही विनाश कि ओर बढ़ रहे, प्रकृति से हमने जंग छेड़ दी है, अपने ही अपनों के रक्त के प्यासे हैं, कदाचित थोड़ा भी भान होता कि ईश्वर ने हमें किसलिये बनाया है, क्यों बुद्धि प्रदान कि, इसलिये कि उसकी ही सत्ता के विरुद्ध युद्ध शुरू करदें !!
🙏
जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
     1st मई 2017

।। मैं।।

यूँ तो हूँ अभ्यष्यत मैं, हूँ तनिक अनभिज्ञ भी !
राह में हूँ घुस चला, फ़िर नही डर मात्र भी !!
हैं हज़ारों द्वेष और, हैं करोड़ों कपट भी !
लड़ रहा हूँ मैं निरंतर, थक नहीँ सकता कभी !!
बुद्धि होती नित प्रखर, हैं कर्म मेरे रत अभी !
मन हो रहा नित प्रति प्रफुल्लित, है नहीँ थकना कभी !!
यूँ तो हूँ अभ्यष्यत मैं, हूँ तनिक  अनभिज्ञ भी !
राह में हूँ घुस चला, फ़िर नही डर मात्र भी !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
28th अप्रैल 2017

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...