Thursday, 10 May 2012

कभी -कभी मैं सोंचता हूँ , के मैं फ़साने ढूँढता हूँ,
मगर मोहब्बत करने का जरिया तो हो !
किसी पे ऐतबार करने को दिल चाहता है,
मगर मेरी मोहब्बत पे ऐतबार तो किसी को हो!
ज़िन्दगी यूँ ही जिए जा रहे दर -बदर,
किसी पे सदके जाने का दिल तो हो!
                                 - जितेंद्र  सिंह बघेल 
 

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