मेरे दिल की कशिश समझो , तो जानू मैं की हस्ती हो....
किसी पे जान लुटा देना, मेरी फितरत में शामिल है !!
वो समझे तो कभी मेरी मोहब्बत की, सदाओं को ....
उसे समझा नहीं पाया, जो मेरे दिल के काबिल है !!
वो पागल है या काफिर है, उसे समझा नहीं सकता...
मेरे सपने वो बुनती है, उन्ही की खुद वो कातिल है !!
मेरे दीवानेपन की वो मुअक्किल बन नहीं सकती...
उसे समझा नहीं पाया, जो मेरी खुद की कातिल है !!
- जितेन्द्र सिंह बघेल
11 मई 2012,
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