सुकूँ पाने की कोशिश में, सुकूँ सारा गवाँ बैठा !
न समझा आजतक जीना, जो मर मर के हैं जीते लोग !!
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कदम ठहरे नहीं मेरे, न थक के मैं कभी बैठा !
न समझा आजतक कहना, जो छुप छुप के हैं कहते लोग !!
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नहीं किस्मत की है रहमत, या किस्मत से मैं लड़ बैठा !
कहीं सच ही न हो जाये, जिसे सह भी न पायें लोग !!
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सुकूँ पाने की कोशिश में, सुकूँ सारा गवाँ बैठा !
न समझा आजतक जीना, जो मर मर के हैं जीते लोग !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
Supperbb bhai its really heart touching lines..
ReplyDeleteधन्यवाद् राहुल जी !!
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