बेसब्री का आलम कुछ यूँ था यारो, जिन रास्तों पे चले थे कभी, आज उनमें ही भटकने लगे !!!
*
जितेंद्र शिवराजसिंह बघेल
29 सितम्बर 2015
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
।। जगत विधाता मोहन।।
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
-
पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
-
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
-
दोनो पक्षों में शामिल होकर, क्या हासिल कर पाओगे। एक दिन ऐसा आएगा, कहीं नही रह पाओगे।। होना चाहो रक्षित तुम तो, खुद का बेड़ा पार करो। खुद से ...
No comments:
Post a Comment