Friday 4 September 2015

अनुरोध विनोद न मानो प्रभु !!

अनुरोध विनोद न मानो प्रभु , मन माहि चले हैं विरोध कई !
   है प्रीति समाज की रीति भले, पर प्रीति की रीति न माने कोई !!
कुछ कष्ट करें दुर्बल मन को, मन को ही बता दो उपाय कोई !
तन मन अपना  अर्पण कर दूँ , धन की चिंता ना रहे कोई !!
मझधार से पार लगा दो प्रभु, यहाँ और नहीं मल्हार कोई !
अनुरोध विनोद न मानो प्रभु , मन माहि चले हैं विरोध कई !

      !! कृष्ण जन्म की मंगल सुभकामनाएँ !!
       * हरे कृष्णा हरे रामा *

  जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
   5 सिंतम्बर 2015 

No comments:

Post a Comment

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...