अनुरोध विनोद न मानो प्रभु , मन माहि चले हैं विरोध कई !
है प्रीति समाज की रीति भले, पर प्रीति की रीति न माने कोई !!
कुछ कष्ट करें दुर्बल मन को, मन को ही बता दो उपाय कोई !
तन मन अपना अर्पण कर दूँ , धन की चिंता ना रहे कोई !!
मझधार से पार लगा दो प्रभु, यहाँ और नहीं मल्हार कोई !
अनुरोध विनोद न मानो प्रभु , मन माहि चले हैं विरोध कई !
!! कृष्ण जन्म की मंगल सुभकामनाएँ !!
* हरे कृष्णा हरे रामा *
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
5 सिंतम्बर 2015
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