बड़ा लंबा सफर था मेरा, अदब से आदाब तक का !
ना रास्ते कम हुए, ना मंजिल मिली !!
बड़ा मसगूल था मैं, न सोंचा उस हद तक का !
ना दर्द कम हुए, न खुशियाँ मिली !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
11th सितम्बर 2015
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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