Tuesday, 8 September 2015

खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !!

खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !
क्या तुझे तेरे रोने का मकसद मिला !!
*
है जरूरी अगर सुर्ख होना तेरा !
फिर खतम आज से सारा शिकवा गिला !!
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रूह, जख्मों का मंजर लिए चल रही !
कोई उसको न उसके जैसा मिला !!
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हर सितम सह  के जीना मोहब्बत नहीं !
हर मोहब्बत को उसका सिला न मिला !!
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खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !
क्या तुझे तेरे रोने का मकसद मिला !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
   8th सितम्बर 2015 

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