ये ज़िन्दगी, कब जुदा होगी तू ,
तेरे रहमों करम से मैं, घबरा गया !!
तेरे रहमों करम से मैं, घबरा गया !!
रह सकूँ गर तेरे दायरे में जो मैं,
खुद के साये से भी मैं तो घबरा गया !!
मेरे अपनों को अपना कहूँ जब भी मैं,
मेरा अपना कोई याद आता गया !!
ये ज़िन्दगी, कब जुदा होगी तू ,
तेरे रहमों करम से मैं, घबरा गया !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
23 rd जनवरी 2013
23 rd जनवरी 2013
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