कुछ लम्हे हूँ जिया हुआ, जिनकी यादें तडपाती हैं !
है बीते पल में जिंदा वो, बस यही याद कहलाती है !!
है बीते पल में जिंदा वो, बस यही याद कहलाती है !!
यादों का मौसम कैसा है, जो दूर कभी ना जाता है !
जब याद उसे मैं करता हूँ, मन दूर तलक यूँ जाता है !!
है बेबस सा लाचार बड़ा, मन को यादें समझाती हैं !
एक आश बची है मन में क्यों, आँखें नम सी हो जाती हैं !!
कुछ लम्हे हूँ जिया हुआ, जिनकी यादें तडपाती हैं !
है बीते पल में जिंदा वो, बस यही याद कहलाती है !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
19 January 2013
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