मिलूं मैं गर जो राहों में, छुपा लेना खुदी को तुम !
मुझे मालुम है ये की, तड़प के रो पडोगी तुम !!
तेरी यादें भी आती हैं, बड़ी सिद्धत से यूँ जाना !
तुम्हे बतलाऊं मैं कैसे, उन्ही से लड़ पडोगी तुम !!
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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