मिलूं मैं गर जो राहों में, छुपा लेना खुदी को तुम !
मुझे मालुम है ये की, तड़प के रो पडोगी तुम !!
तेरी यादें भी आती हैं, बड़ी सिद्धत से यूँ जाना !
तुम्हे बतलाऊं मैं कैसे, उन्ही से लड़ पडोगी तुम !!
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...
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