हर कोशिश नाकाम हुई, तेरी दुनिया से जाने की !
राहें भी गुमनाम हुई, तेरे मंजिल तक आने की !!
लब काँप रहे, मन भाँप रहे, दिल करता है अपने मन की !
हैरान रहूँ, बेचैन रहूँ, बातें सुनता मन से मन की !!
कुछ रोज लगे बीते बीते, पर बात नहीं अफ़साने की !
ये दिल भी पागल न समझे, जो बात नहीं समझाने की !!
अब टीस सी दिल में उठती है, उसके कोमल स्पर्शों की !
धड़कन भी मुझे डराती हैं, कहती हैं बारी जाने की !!
हर कोशिश नाकाम हुई, तेरी दुनिया से जाने की !
राहें भी गुमनाम हुई, तेरे मंजिल तक आने की !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
25th जनवरी 2013
राहें भी गुमनाम हुई, तेरे मंजिल तक आने की !!
लब काँप रहे, मन भाँप रहे, दिल करता है अपने मन की !
हैरान रहूँ, बेचैन रहूँ, बातें सुनता मन से मन की !!
कुछ रोज लगे बीते बीते, पर बात नहीं अफ़साने की !
ये दिल भी पागल न समझे, जो बात नहीं समझाने की !!
अब टीस सी दिल में उठती है, उसके कोमल स्पर्शों की !
धड़कन भी मुझे डराती हैं, कहती हैं बारी जाने की !!
हर कोशिश नाकाम हुई, तेरी दुनिया से जाने की !
राहें भी गुमनाम हुई, तेरे मंजिल तक आने की !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
25th जनवरी 2013
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