मोहब्बत ही तो किया था, अपनी जली ज़िन्दगी को बुझाने को !
उन्होंने भी क्या खूब सिला दिया, कहके, क्या जरूरत थी मेरी ज़िन्दगी में आने को !!
किसी के इश्क की खुशबु, मैं पता था तेरे अन्दर !
खुदी की जिल्लतों में भी, खुदी को डूब जाने को !!
तू हो ही तो नहीं पाया, तेरा जो था ज़माने में !
यही कहकर जलाया है, मेरे बेबस से अरमाँ को !!
उन्होंने भी क्या खूब सिला दिया, कहके, क्या जरूरत थी मेरी ज़िन्दगी में आने को !!
किसी के इश्क की खुशबु, मैं पता था तेरे अन्दर !
खुदी की जिल्लतों में भी, खुदी को डूब जाने को !!
तू हो ही तो नहीं पाया, तेरा जो था ज़माने में !
यही कहकर जलाया है, मेरे बेबस से अरमाँ को !!
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