Wednesday 26 December 2012

हम कौन थे, क्या हो गये हैं

मुझे आज आचार्य चाणक्य का एक सुंदर एवं सत्य कथन बहुत ही जादा विचलित कर रहा है ......

"जिस देश के युवा ये कहते हैं, की हमे राजनीति में कोई रूचि नहीं है, उस देश को भ्रष्टाचार एवं पतन से कोई नही बचा सकता"

आज जरूरत है आचार्य जी के इस सत्य को मान कर उसे चरितार्थ करने की !
मुझे तो दुःख है की सत्ता में बिपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार, अब तक अपने बिपक्ष होने के किसी भी पहलू को पूरा न कर सकी, इस पार्टी की एक ही विचारधारा मुझे अब तक समझ आई है, केवल और केवल भावनात्मक प्रहार करना !
आज इस प्रहार से कहीं जादा जरूरी है, तल्कालीन मुद्दों पे अपनी विचारधारा को मोड़ना एवं तत्कालीन सत्ताधारी सरकार को घेरना, शुरूआती दौर में ये पार्टी ऐसा ही करती है, मगर खुद के दामन के दागों की वजह से मुद्दों से भटक जाती है !
कांग्रेस पार्टी की तो ये पुरानी आदत और नसल है की, जिस समय उन पर कोई भी आरोप लगाओ उसी समय उसी आरोप की  प्रतिलिपि वो आप पर जरूर छाप देती है, ये भी एक विशेषता है इस पार्टी की, जिसकी ही वजह से सायद ये कायम भी है !
यह एक सोंचनीय विषय है की तत्कालीन सरकार निरंतर न्योता दे - दे के घोटाले किये जा रही है, महंगाई बढाये जा रही है, मगर अफ़सोस की दूसरी सबसे मजबूत पार्टी भारतीय जनता पार्टी कुछ नही कर सकी, बाकी क्षेत्रीय दलों की क्या बिसात !

अब तक अटल जी की जगह कोई नहीं ले पाया, अब्दुल कलाम जी को भी सिरे से नकार दिया गया,
वाह रे किस्मत इस देश की, जिनके दामन में खुद भ्रष्टाचार के दाग हैं,
वो ही देश के प्रथम नागरिक, महामहिम राष्ट्रपति के पद पर आसीन हैं !
द्वितीय नागरिक की तो बात ही क्या करूं, वो तो सर्व विदित है, उन्हें तो खुद ही नही पता की मैं कैसे आया हूँ और कैसे चल रहा हूँ और देश को भी कैसे चला रहा हूँ !!

कोटि कोटि नमन है देश के क्रांतिकारियों को जिन्होंने हमे इसे दुसरे देश की गुलामी के चंगुल से छुडा कर अपने ही देश में गुलाम बना दिया !!!
आचार्य मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी रचना में लिखा है, जो बहुत ही सत्य है, जो ये बता रहा है की किस सोंच की विभूति थे वो महामना ......
हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी !
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी !!
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां !
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां !!


                                                              जितेन्द्र सिंह बघेल
                                                               27 दिसम्बर 2012

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