इसके कई रूप हैं,
एक लड़की ....
एक बहेन ....
एक पत्नी ....
एक माँ ....
ममता का भण्डार है तू, कुछ कर्ज चुकाना चाहूँ मैं !
है अंतर्मन भी बड़ा दुखी, कैसे तुझको बतलाऊं मैं !!
तेरे सीने का दर्द मेरे, सीने में कैसे आएगा !
बस यही सोंच में पागल हूँ, कैसे खुद को सुलझाऊं मैं !!
-जितेन्द्र सिंह बघेल
26th दिसम्बर 2012
Tuesday, 25 December 2012
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।। जगत विधाता मोहन।।
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
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क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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दोनो पक्षों में शामिल होकर, क्या हासिल कर पाओगे। एक दिन ऐसा आएगा, कहीं नही रह पाओगे।। होना चाहो रक्षित तुम तो, खुद का बेड़ा पार करो। खुद से ...
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