करोगे बात करने की, तो कह दूंगा ज़माने से !
मिटा दे ज़िन्दगी मेरी, नहीं अफ़सोस जाने से !!
लुटा दी आबरू सबने, जो कहते हैं ज़माने से !
नहीं परवाह करते हैं, लगे हैं सब बेगाने से !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
20th दिसम्बर 2012
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...
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